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भारत-रूस में हुई बड़ी डील


आखिरकार भारत और रूस के बीच एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम सौदे पर मुहर लग गई है। अमेरिका की नाराजगी के बावजूद भारत ने रूस के साथ पांच एस-400 मिसाइल समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इसके साथ ही भारत और रूस के बीच अंतरिक्ष में सहयोग को लेकर भी समझौता हो गया है। भारत साइबेरिया के शहर नोवोसबिरस्क में मॉनिटरिंग स्टेशन बनाएगा।

समझौते में क्‍या है खास

दोनों देशों ने रक्षा क्षेत्र में सहयोग को और प्रगाढ़ बनाने पर बात की। खास तौर पर रूसी तकनीक से मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत हथियारों व सैन्य उपकरणों के निर्माण को लेकर ठोस बात हुई। इसके साथ ही इस वर्ष दोनों देशों की तीनों सेनाओं के बीच दूसरा सैन्य अभ्यास होगा।

भारत और रूस के बीच इन समझौतों पर लगी मुहर

-एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की खरीद
-मानव संसाधन से लेकर प्राकृतिक संसाधन का विकास
-सौर ऊर्जा और नाभिकीय ऊर्जा का शान्तिपूर्ण उपयोग
-व्यापार से लेकर निवेश तक सहयोग
-रेलवे का विकास
-इसरो और रूसी संघीय अंतरिक्ष अभिकरण के बीच गगनयान को लेकर समझौता
-तकनीक से बाघ संरक्षण, सागर से लेकर अंन्तरिक्ष तक विस्तार
-आतंकवाद और नशीली दवाओं के खिलाफ साझा जंग

डेलिगेशन लेवल की बातचीत के बाद पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति ने संयुक्त रूप से प्रेस को संबोधित किया।पीएम मोदी ने कहा हमारा देश न्‍यूक्‍लियर एनर्जी में दोस्‍त है। अब हम टेक्‍नोलॉजी को बेचते और खरीदते नहीं हैं। मेक इन इंडिया के बारे में कहा कि रक्षा क्षेत्र में इसके तहत हथियार बनेंगे। व्‍यापार में बढ़ावा देने के लिए निवेश पर उन्‍होंने कहा कि हमने 'रसिया प्‍लस' सिस्‍टम बनाया है, जिसके जरिए रूसी कंपनी भारत में आसानी से निवेश कर सकेंगी। हम साथ मिलकर वित्तीय सहयोग को और मजबूत बना रहे हैं। इस सहयोग से दोनों देशों के बीच व्‍यापार बढ़ेगा। पुतिन और अपनी दोस्‍ती पर कहा कि हमलोग मिलने का मौका नहीं छोड़ते हैं। दुनिया बदल रही है मगर भारत और रूस की दोस्‍ती नहीं बदलेगी।
मोदी ने कहा कि आतंकवाद के विरूद्ध संघर्ष, अफगानिस्तान तथा इंडो पैसिफिक के घटनाक्रम, जलवायु परिवर्तन, एससीओ, ब्रिक्स जैसे संगठनों एवं जी20 तथा आसियान जैसे संगठनों में सहयोग करने में हमारे दोनों देशों के साझा हित हैं। हम अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में अपने लाभप्रद सहयोग को जारी रखने पर सहमत हुए हैं। भारत-रूस मैत्री अपने आप में अनूठी है। इस विशिष्ट रिश्ते के लिए राष्ट्रपति पुतिन की प्रतिबद्धता से इन संबंधों को और भी ऊर्जा मिलेगी।

व्लादिवोस्तोक फोरम में मोदी को न्योता
राष्ट्रपति पुतिन ने पीएम मोदी को व्लादिवोस्तोक फोरम में शामिल होने का न्योता दिया है। साझा बयान के दौरान पुतिन ने कहा कि एक बार फिर पीएम मोदी को व्लादिवोस्तोक फोरम में मुख्य अतिथि के रूप में न्योता देना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।



दो दिवसीय यात्रा पर पुतिन
रूस के राष्ट्रपति पुतिन अपनी दो दिवसीय यात्रा पर भारत आए हैं। दिल्ली के हैदराबाद हाउस में आज पीएम मोदी ने व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। रूसी राष्ट्रपति प्रधानमंत्री मोदी के साथ वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इस शिखर सम्मेलन में 10 अरब डॉलर से ज्यादा के सौदे पर बातचीत हो सकती है। इनमें छिपी संभावना और क्षमता की बदौलत रूसी हथियारों के लिए कम से कम दो और दशकों तक भारतीय दरवाजे खुले रहेंगे।

ताकतवर हो जाएगी भारतीय सेना
भारत फिलहाल S 400 मिसाइल सिस्टम के पांच स्कैवर्डन बनाएगा। हर स्कैवर्डन में दो लांचर्स रहेंगे, जो दुनिया के सर्वश्रेष्ठ एयर मिसाइलों को भी हवा में नष्ट करने की क्षमता रखते हैं। इसकी लागत के बारे में अभी आधिकारिक तौर पर बयान नहीं, लेकिन एक अनुमान के मुताबिक भारत की लागत 40,000 करोड़ रुपये हो सकती है।



भारत के लिए क्यों अहम है एस-400
भारत पहले ही यह स्पष्ट कर चुका है कि यह मिसाइल प्रणाली उसकी सुरक्षा के लिए काफी महत्वपूर्ण है और उसे हासिल करने का उसका इरादा पक्का है। ऐसे में इस सौदे पर पड़ोसी मुल्क चीन और पाकिस्तान की नजरें टिकी हैं। साथ ही अमेरिका भी इस डील पर अपनी नजरें गड़ाए बैठा है। अमेरिका शुरुआत से ही इस डील के खिलाफ रहा है। यहां तक कि अमेरिका एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम खरीदने वाले देशों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की धमकी भी दे चुका है। ऐसे में ये जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि आखिरकार अमेरिका इस डील से क्यों घबराया हुआ है। या इससे अमेरिका को क्या नुकसान हो सकता है।

क्या है अमेरिका कि चिंता
अमेरिकी को चिंता है कि एस-400 का इस्तेमाल यूएस फाइटर जेट्स की गुप्त क्षमताओं को टेस्ट करने के लिए किया जा सकता है। ऐसा कहा जा रहा है कि इस सिस्टम से भारत को अमेरिकी जेट्स का डेटा मिल सकता है। साथ ही अमेरिकी इसीलिए भी चिंतित है की भारत इस डेटा को रूस या किसी अन्य दुश्मन देश के साथ शेयर कर सकता है।



अमेरिका ने अपने दुश्मन देशों को प्रतिबंधों के जरिए दंडित करने के लिए 'काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेक्शंस एक्ट' (काटसा) कानून बनाया है। इन देशों के साथ सौदे करने वाले देशों पर यह कानून लागू होता है। हालांकि, ऐसा भी कहा जा रहा है कि अमेरिका भारत को इसमें राहत दे सकता है। 

क्या है काटसा कानून
बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अगस्त 2017 में 'काटसा' पर हस्ताक्षर किए थे। ट्रंप ने अगस्त 2017 में रूस पर प्रतिबंध लगाने के मकसद से इस कानून पर हस्ताक्षर किए थे। इसे 'काटसा' नाम दिया गया। इसके तहत अमेरिका रूस से बड़ा रक्षा समझौता करने वाले देशों पर प्रतिबंध लगा सकता है।

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