कतरनी चावल, जरदालू आम और मगही पान के बाद बिहार की शाही लीची को भौगोलिक संकेत(GI) का टैग मिला है और टैग मिलते ही यह राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में एक विशेष ब्रांड बन गया है।
प्रसिद्ध शाही लीची, जो अपने मीठे, रसदार, अद्वितीय स्वाद और सुगंध के लिये प्रसिद्ध है, अधिकांशतः मुज़फ्फरपुर और इसके आस-पास के ज़िलों- पूर्वी चंपारण, वैशाली, समस्तीपुर और बेगूसराय में उगाई जाती है।
उल्लेखनीय है कि देश में उगाई जाने वाली कुल लीची का 40 प्रतिशत उत्पादन बिहार में किया जाता है।
भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication-GI)
एक भौगोलिक संकेतक का इस्तेमाल ऐसे उत्पादों के लिये किया जाता है, जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है।
इन उत्पादों की विशिष्ट विशेषताएँ एवं प्रतिष्ठा भी इसी मूल क्षेत्र के कारण होती है। इस तरह का संबोधन उत्पाद की गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर GI का विनियमन विश्व व्यापार संगठन (WTO) के बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं पर समझौते के तहत किया जाता है।
वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर यह कार्य ‘वस्तुओं का भौगोलिक सूचक’ (पंजीकरण और सरंक्षण) अधिनियम, 1999 के तहत किया जाता है, जो सितंबर 2003 से लागू हुआ।
वर्ष 2004 में ‘दार्जिलिंग टी’ जीआई टैग प्राप्त करने वाला पहला भारतीय उत्पाद है।
भौगोलिक संकेतक का पंजीकरण 10 वर्ष के लिये मान्य होता है।
Doubling GST exemption limit to help MSMEs, ease of doing biz: India Inc https://www.business-standard.com/article/economy-policy/doubling-gst-exemption-limit-to-help-msmes-ease-of-doing-biz-india-inc-119011001113_1.html
Comments
Post a Comment