हालांकि, कोर्ट की तरफ से कहा गया है कि कुछ शर्तें उन पर लगी रहेंगी। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे पटाखों के उत्पादन और बिक्री की इजाजत दी है जिससे कम प्रदूषण होता हो।
कोर्ट ने कहा कि ऑनलाइन पटाखों की बिक्री पर रोक लगी रहेगी। साथ ही, ई-कॉमर्स की साइट पर इसे बेचने की इजाजत नहीं होगी। इसके साथ ही, कोर्ट ने कहा कि पटाखा बनाने वाली फैक्ट्रियों की जांच की जाएगी।
कोर्ट की तरफ से कहा गया है कि दिवाली और अन्य त्योहार पर रात आठ बजे से लेकर 10 बजे तक पटाखा चला सकते हैं।
जस्टिस एके सीकरी की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले में अपना फैसला सुनाया। वायु प्रदूषण को देखते हुए पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी थी।
लेकिन इसके बाद कोर्ट ने कुछ अवधि के लिए सशर्त पटाखों की बिक्री को खोल दिया था क्योंकि व्यापारियों का कहना था कि उन्होंने स्टाक खरीद लिखा है उसे कहां ले जाएं।
पटाखा बिक्री पर रोक न लगे, इसके लिए पटाखा उत्पादक और विक्रेता भी सुप्रीम कोर्ट गए हुए थे।
उन्होंने कोर्ट से कहा है कि पिछले साल दिल्ली और एनसीआर में पटाखों की बिक्री रोक लगा दी गई थी। इससे लाखों लोगों का रोजगार प्रभावित हुआ, लेकिन प्रदूषण के लिए पटाखों से ज्यादा कई अन्य चीजें जिम्मेदार हैं।
न्यायालय का फैसला में अभी तक पटाखों की बिक्री पर न्यायालय ने कोई रोक नहीं लगाई है और जो लाइसेंसधारक हैं वह पटाखों की बिक्री कर सकते हैं।
लेकिन कहीं दोबारा न्यायालय के आदेश से बिक्री को रोक न दिया जाए, इस डर से अधिकांश डीलरों ने अभी तक पटाखों का स्टॉक नहीं किया है और न ही अभी तक इनकी बिक्री प्रारंभ हो सकी है, जबकि दो साल पहले तक इस समय तक काफी व्यापार हो जाता था।
सुप्रीम कोर्ट ने 23 अक्टूबर 2018 को पटाखों की बिक्री पर सुनवाई करते हुए साफ कर दिया है कि इस पर कोई प्रतिबंध नहीं रहेगा।
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