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Showing posts from June, 2016

25 JUN 1975 आपातकाल

DD NEWS दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में वर्ष 1975 में आज का दिन काले अध्याय के रुप में जुड़ा है। आज के ही दिन तत्कालीन राष्ट्रपति ने आंतरिक आपातकाल लगाने के सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। आपातकाल देश के आजादी के बाद के इतिहास में एक काले अध्याय जैसा है, जिसने भारतीय लोकतंत्र के नाम पर एक धब्बा लगा दिया। इसकी फौरी वजह थी 12 जून को  इलाहाबाद उच्च न्यायालय का आय़ा फ़ैसला । इस फैसले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इंदिरा गांधी का चुनाव अवैध ठहरा दिया था क्योंकि उन पर चुनाव के दौरान सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप सिद्ध हो गया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 24 जून को दिए अपने फैसले में इंदिरा को प्रधानमंत्री बने रहने की छूट तो दी, लेकिन उन्हें लोकसभा में फिर से चुनकर आना पड़ता। ऐसे में इंदिरा गांधी ने एक फैसला लिया। यह फैसला था देश पर आपातकाल थोपने का। एक सफदरजंग रोड पर सारी शाम बैठक होती रही, जिसमें इंदिरा गांधी के नजकीदी लोग शामिल थे। लेकिन डीडी न्यूज़ के पास मौजूद दस्तावेज़ बताते हैं कि आपातकाल की तैयारी जनवरी से ही शुरू हो गई थी, जब कांग्रेसी नेता सिद्धार्थ शंकर रे न

स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन ( SAAW )

Nirman Ias (Facebook) "भारत ने किया स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन (SAAW) सफल परीक्षण, अब तक किसी भी देश के पास नहीं है यह हथियार" • देश के रक्षा वैज्ञानिकों ने अब स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन (SAAW) नाम का एक नया बम तैयार किया है। • हवा से जमीन पर मार करने वाला यह स्मार्ट बम को दुश्मन के मजबूत से भी मजबूत रनवे को पूरी तरह से नष्ट करने में सक्षम है। • किसी रनवे पर इसे दागे जाने के बाद वहां से दुश्मन का कोई विमान उड़ान तक नहीं भर पाएगा। इस स्मार्ट बम का हाल ही पोकरण में सुखोई विमान से दाग कर सफल परीक्षण किया गया। ऐसे काम करता है स्मार्ट बम… – सवा सौ किलोग्राम वजनी यह बम सुखोई और जगुआर विमान से दागा जा सकता है। – इस बम की रेंज अस्सी से नब्बे किलोमीटर है। अपने लक्ष्य पर पहुंच यह पहले उसमें ड्रिल कर छेद करता है। – इसके बाद यह कई फीट की गहराई में जाकर जोरदार विस्फोट करता है। इसके रनवे का काफी बड़ा हिस्सा पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाता है। – इसके एक विस्फोट के पश्चात रनवे किसी भी तरह के विमान की उड़ान भरने के लायक नहीं रह पाएगा। – इस तरह के स्मार्ट बम से स्टील से ब

राजन HERO or ZERO

राजन का हिसाब-किताब (कपिल अग्रवाल ) देश के मीडिया और उद्योग जगत का एक वर्ग अयोग्य को योग्य और योग्य को अयोग्य सिद्ध करने की ताकत रखता है। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की बात हो या आगामी सितंबर माह में अपना कार्यकाल पूरा करने जा रहे भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन की-दोनों के ही मामलों में यह साफ नजर आता है। निरंतर दस साल तक राज करने के बावजूद मनमोहन सिंह न तो देश की अर्थव्यवस्था, महंगाई और बैंकों आदि की दशा सुधार पाए और न ही तीन साल में रघुराम राजन ने ऐसा कुछ करिश्मा किया कि उन्हें दूसरे कार्यकाल के लिए मनाया जाए। राजन यह जरूर कह रहे हैं कि बैंकों की खस्ताहालत के लिए उच्च ब्याज दरें नहीं, बल्कि खराब कर्जे यानी एनपीए जिम्मेदार है, पर यह स्वीकार नहीं करते कि इन पर लगाम कसने में वह खुद विफल रहे हैं। बैंकों की स्वच्छंदता पर अंकुश लगाने में भी वह असफल रहे हैं। मीडिया और उद्योग जगत के एक वर्ग में इनके कामकाज और योग्यता को नापने का पैमाना एक ही है कि शेयर बाजार चढ़ा या उतरा।  सवाल यह है कि रिजर्व बैंक के गवर्नर की नियुक्ति शेयर बाजार को संभालने के लिए की जाती है या बैं

एनएसजी पर चीन को मनाने की कोशिश

परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों के प्रतिष्ठित समूह एनएसजी का भारत सदस्य बन पाता है या नहीं यह अब पूरी तरह से ताशकंद में होने वाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच होने वाली बातचीत पर निर्भर करेगी। पीएम मोदी वैसे तो ताशकंद में शंघाई कोऑपरेशन संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेने जा रहे हैं लेकिन इसका मुख्य उद्देश्य एनएसजी पर चीन को मनाने की कोशिश करना होगा।मोदी गुरुवार यानी 23 जून, 2016 को उबेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में एससीओ की बैठक में हिस्सा लेने पहुंचेंगे। वैसे इस बैठक में भारत को भी एससीओ का पूर्णकालिक सदस्य बनाने की घोषणा भी की जाएगी। उधर, भारत के एनएसजी सदस्य बनने को लेकर चीन के रवैये में कोई खास अंतर नहीं आया है। चीन के विदेश मंत्रलय की तरफ से गुरुवार को दिए गए बयान से साफ है कि वह भी अंत में ही अपने पत्ते खोलेगा। एक तरफ तो चीन ने कहा कि वह भारत या पाकिस्तान या किसी भी अन्य देश के लिए एनएसजी के दरवाजे को बंद नहीं करना चाहता लेकिन उसने भारत को बढ़ावा दे रहे अमेरिका व अन्य देशों पर कटाक्ष भी किया। चीन के विदेश मंत्रलय के प्रवक्ता ने कहा है कि परमाणु अप

इसरो ने एक साथ 20 सैटेलाइट का किया प्रक्षेपण

Indian Space Research Organisation: Space Agency Launches Rocket Carrying 20 Satellites

Indian Space Research Organisation: Space Agency Launches Rocket Carrying 20 Satellites

इसरो ने एक साथ 20 सैटेलाइट का किया प्रक्षेपण

इसरो ने रचा इतिहास    " इसरो ने एक साथ 20 सैटेलाइट का किया प्रक्षेपण " ★भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पीएसएलवी C- 34 के ज़रिए एक साथ 20 उपग्रहों को अंतरिक्ष में पहुँचाया है. ★अांध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन केंद्र से यह प्रक्षेपण किया गया. ★यह पहली बार है कि भारत ने एक साथ 20 उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा है. इससे पहले ऐसा केवल अमरीका और रूस ही कर पाए हैं. इस अभियान की 10 ख़ास बातें हैं-  जो उपग्रह अतंरिक्ष में भेजे गए हैं उनमें भारत के तीन और 17 विदेशी उपग्रह हैं. पीएसएलवी के जरिए 36वीं बार उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा है.  इससे पहले इसरो ने पीएसएलवी के ज़रिए 2008 में दस उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा था.  पीएसएलवी जिन 17 विदेशी उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा है वो व्यावसायिक हैं, जिनसे इसरो को कमाई होगी.  इनमें से 13 उपग्रह अमरीका के हैं. बाकी के उपग्रह कनाडा, इंडोनेशिया और जर्मनी के हैं.  एक उपग्रह जानी-मानी कंपनी गूगल का है. यह एक भू-सर्वेक्षण उपग्रह है.  अमरीका के इतने उपग्रहों को एक बार में अंतरिक्ष में भेजने से बेहतरीन भार

World Blood Donor Day

nari shakti in india [नारी शक्ति ( भारत )]

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